शेखावाटी अग्रवाल समाज संस्था, जयपुर

मानव समाज का दर्पण होता ह, अतः सुद्रढ़ समाज तभी बन सकता है जब समाज का प्रत्येक सदस्य अपना दायित्व निभाए| शेखावाटी अग्रवाल समाज जो संपन्न तो है लेकिन सुद्रढ़, एकजुट और सदभावना से परे है|अतः आपसे अनुरोध है कि आप संस्था के साथ जुड़े और अपने समाज व देश को सशक्त बनाये |

समाजवाद

सामाजिक कल्याण और भाईचारे की भावनाएं समाजवाद के मूलभूत तत्व थे। राज्य में भ्रष्टाचार या स्वार्थ की कोई जगह नहीं थी।

समानता

एक ईंट और एक सिक्का की तुलना में समानता का कोई और बेहतर व्यावहारिक सिद्धांत नहीं हो सकता है।

अहिंसा

अहिंसा में महाराज का विश्वास उत्पीड़न के लिए गैर-प्रतिरोध का मतलब नहीं था, बल्कि उन्होंने आत्मरक्षा को बढ़ावा दिया।

परमात्मा के नाम पर

महाराजा अग्रसेन

महाराजा अग्रसेन जी का जन्म सुर्यवंशी भगवान श्रीराम जी की चौतीस वी पीढ़ी में द्वापर के अंतिम काल (याने महाभारत काल) एवं कलयुग के प्रारंभ में अश्विन शुक्ल एकम को हुआ। कालगणना के अनुसार विक्रम संवत आरंभ होने से 3130 वर्ष पूर्व अर्थात ( 3130+ संवत 2073) याने आज से 5203 वर्ष पूर्व हुआ। वे प्रतापनगर के महाराजा वल्लभसेन एवं माता भगवती देवी के ज्येष्ठ पुत्र थे। प्रतापनगर, वर्तमान में राजस्थान एवं हरियाणा राज्य के बीच सरस्वती नदी के किनारे स्थित था।

संस्था के पदाधिकारी

गोत्र की अवधारणा

महाराज अग्रसेन ने अग्रोहा राज्य की स्थापना की। अग्रोहा में 18 राज्य इकाइयां शामिल थीं। प्रत्येक राज्य इकाई के प्रमुख को गोत्र दिया गया था उस विशेष राज्य इकाई के सभी निवासियों की पहचान गोत्र ने की थी। यह महाराज अग्रसेन द्वारा रखा गया था कि एक ही गोत्र में एक निपटल गठबंधन नहीं हो सकता था। महाराजा अग्रसेन द्वारा तैयार इस नियम ने राज्य इकाइयों द्वारा प्रतिनिधित्व किए गए सभी 18 गोत्रों के बीच सद्भाव और भाईचारे को बढ़ावा दिया। यह राज्य इकाइयों में एकता और राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने में मदद करता है।

समाचार और कार्यक्रम

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