Agrasen Maharaj

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महाराजा अग्रसेन कौन थे...

जन्म

महाराजा अग्रसेन जी का जन्म सुर्यवंशी भगवान श्रीराम जी की चौतीस वी पीढ़ी में द्वापर के अंतिम काल (याने महाभारत काल) एवं कलयुग के प्रारंभ में अश्विन शुक्ल एकम को हुआ। कालगणना के अनुसार विक्रम संवत आरंभ होने से 3130 वर्ष पूर्व अर्थात ( 3130+ संवत 2073) याने आज से 5203 वर्ष पूर्व हुआ। वे प्रतापनगर के महाराजा वल्लभसेन एवं माता भगवती देवी के ज्येष्ठ पुत्र थे। प्रतापनगर, वर्तमान में राजस्थान एवं हरियाणा राज्य के बीच सरस्वती नदी के किनारे स्थित था।

''एक ईट और एक रुपया'' का समाजवादी सिद्धांत

एक बार अग्रोहा में अकाल पड़ने पर चारों ओर त्राहि-त्राहि मच गई। ऐसे में समस्या का समाधान ढुंढ़ने के लिए अग्रसेन जी वेश बदलकर नगर भ्रमण कर रहे थे। उन्होंने देखा कि एक परिवार में सिर्फ चार सदस्यों का ही खाना बना था। लेकिन खाने के समय एक अतिरिक्त मेहमान के आने पर भोजन की समस्या हो गई। तब परिवार के सदस्यों ने चारों थालियों में से थोड़ा-थोड़ा भोजन निकालकर पांचवी थाली परोस दी। मेहमान की भोजन की समस्या का समाधान हो गया। इस घटना से प्रेरित होकर उन्होंने ‘एक ईट और एक रुपया’ के सिद्धांत की घोषणा की। जिसके अनुसार नगर में आने वाले हर नए परिवार को नगर में रहनेवाले हर परिवार की ओर से एक ईट और एक रुपया दिया जाएं। ईटों से वो अपने घर का निर्माण करें एवं रुपयों से व्यापार करें। इस तरह महाराजा अग्रसेन जी को समाजवाद के प्रणेता के रुप में पहचान मिली।

भारत सरकार द्वारा प्राप्त सम्मान

  • महाराजा अग्रसेन के नाम पर 24 सितंबर 1976 में भारत सरकार ने 25 पैसे का डाक टिकट जारी किया था।
  • सन 1995 में भारत सरकार ने दक्षिण कोरिया से 350 करोड़ रुपए में एक विशेष तेल वाहक जहाज खरिदा, जिसका नाम “महाराजा अग्रसेन’’ रखा गया।
  • राष्ट्रिय राजमार्ग-10 का अधिकारिक नाम महाराजा अग्रसेन पर है।

सूर्यवंशी क्षत्रिय राजा

भगवान कृष्ण को समकालीन

पवित्र स्थान अग्रोहा का विकास

एक ईंट और सिक्का की प्रसिद्ध नीति

देवी महालक्ष्मी के आशीर्वाद के साथ, राजा अग्रसेन ने पूरे भारत में यात्रा और नए राज्य के लिए एक जगह का चयन करने के लिए रानी के साथ शुरुआत की।

अग्रोहा धाम

महाभारत के युद्ध में महाराज वल्लभसेन, पांडवों के पक्ष में लड़ते हुए युद्ध के दसवे दिन भीष्म पितामह के बाणों से वीरगती को प्राप्त हुए। कालातंर में अपने नए राज्य की स्थापना के लिए महाराज अग्रसेन ने अपनी पत्नी माधवी के साथ पूरे भारतवर्ष का भ्रमण किया। इस दौरान उन्हें एक जगह शेर तथा भेडिये के बच्चे एक साथ खेलते मिले। इसे दैवीय संदेश मानकर, ऋषी-मुनियों की सलाह अनुसार इसी जगह पर नए राज्य ‘अग्रेयगण’ की स्थापना की, जिसे आज ‘अग्रोहा’ नाम से जाना जाता है। यह स्थान हरियाणा में हिसार के पास स्थित है। यहां महाराजा अग्रसेन और माँ लक्ष्मी देवी का भव्य मंदिर है।

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